लखनऊ: अति गंभीर मरीज़ों को वेंटिलेटर सपोर्ट पर अस्पताल पहुंचाने वाली एएलएस एंबुलेंस खुद बदहाल हैं। एंबुलेंस के वेंटिलेटर तक खराब पड़े हैं। ऐसे में मरीज़ों को सुरक्षित अस्पताल पहुंचाना बड़ी चुनौती है। वहीं स्वास्थ्य विभाग के ज़रिए करोड़ों रुपये का भुगतान हर माह कंपनी को किया जा रहा है, मगर एंबुलेंस की मरम्मत तक नहीं कराई जाती।
लखीमपुर गोला निवासी जफीना बेगम (50) की गुरुवार रात अचानक हालत बिगड़ गई। परिजन उन्हें जिला अस्पताल ले गए। वहां डॉक्टरों ने पहले उन्हें भर्ती कर लिया। मगर बाद में मरीज़ की हालत गंभीर बताकर उसे एडवांस लाइफ स्पोर्ट वाली एंबुलेंस से शुक्रवार दोपहर ट्रॉमा भेजा गया। वहां पर डॉक्टरों ने बेड खाली न होने की बात कहकर बलरामपुर अस्पताल भेजा। दोपहर करीब तीन बजे एंबुलेंस बलरामपुर अस्पताल इमरजेंसी में मरीज़ को लेकर आई। अस्पताल स्टाफ ने एंबुलेंस स्ट्रेचर पर मरीज़ को लाने को कहा तो ईएमटी ने स्ट्रेचर का पहिया टूटा होने की बात कही। इसी बीच इमरजेंसी से ऑक्सीजन सिलेंडर व स्ट्रेचर मंगाकर मरीज़ को अंदर शिफ्ट कराया गया। इतना ही नहीं पूरी एंबुलेंस खराब नज़र आ रही थी। हालांकि कंपनी ने दावा किया कि छह घंटे बाद उक्त एंबुलेंस के वेंटिलेटर सिस्टम की मरम्मत करा दी गई।
एएलएस एंबुलेंस मेंटेनेंस की ज़िम्मेदारी जिगित्सा हेल्थ केयर लिमिटेड की है। मगर कंपनी एंबुलेंस को दुरुस्त नहीं करा रही। एक दो नहीं बल्कि कई एंबुलेंस की स्थिति खराब है। अहम बात यह है कि एनएचएम के ज़रिए कंपनी को ज़ारी किए जा रहे बजट में मेंटेनेंस का भी काम शामिल होता है।
सरकार के ज़रिए हैंडओवर एंबुलेंस में से कुछ एंबुलेंस और मेडिकल उपकरण रिप्लेसमेंट प्रक्रिया में हैं।